झालावाड़
29 अगस्त। राजस्थान के प्राथमिक स्वास्थ्य
केंद्रो को सुद्वढ़ करने
व इसकी सुविधाओं का लाभ ग्रामीणेां
तक पहुंचाने के लिए सरकार
ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीटी) के तहत एक
मॉडल पायलेट परियोजना की शुरुआत विश
फांउडेशन के साथ मिलकर
वर्ष 2015 में की थी। इस
भागीदारी का ग्रामीण स्वास्थ्य
सेवाओं पर सकारात्मक असर
देखा गया है। यह जानकारी राज्य
के निदेशक कपिल जुत्शी ने गुरुवार को
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
श्री
जुत्शी ने बताया कि
2014 के अंत में एल.ई.एच.एस./विश ने राज्य सरकार
के साथ बातचीत शुरू की और पब्लिक
प्राइवेट भागीदारी के तहत प्राथमिक
स्वास्थ्य केंद्रों के प्रदर्शन में
सुधार का प्रस्ताव रखा।
विश फाउंडेशन ने वर्ष 2015 में
30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (और संबद्ध 153 उप
केन्द्रों) का प्रबंधन राज्य
सरकार से अपने हाथों
में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत लिया।
विश फांउडेशन ने न केवल
इन पीएचसी के प्रबंधन का
अधिग्रहण किया है, बल्कि निदान और गुणवत्ता के
साथ स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीणेां तक
पहुंचाने में अग्रिम नवाचारों की भी शुरुआत
की। राज्य सरकार ने पीएचसी के
प्रदर्शन में सकारात्मक बदलावों को देखते हुए
2016 में ग्रामीण क्षेत्रों और 2017 में शहरी क्षेत्र की पीएचसी को
पीपीपी मोड के तहत इच्छुक
गैर सरकारी संगठनों से इस तरह
के अनुरोध के लिए प्रस्ताव
(आरएफपी) आमंत्रित करके उन्हें सौंपा। वर्तमान में एल.ई.एच.एस. विश राज्य के 14 जिलों में 31 (24 ग्रामीण और 7 शहरी) पीएचसी का संचालन कर
रहा है।
स्वास्थ्य
केंद्रो पर आया सुधार
उन्होंने
बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य
मिशन के अंर्तगत डाटा
प्रबंधन पोर्टल के आंकडों के
अनुसार विश द्वारा द्वारा संचातिल स्वस्थ्य केंद्रो में दी गई सेवाओंमें
प्रबल सुधार आया है। जैसे कि भालता प्राथमिक
स्वास्थ्य केंद्र में मासिक
ओपीडी में 2014 के अनुपातमें 2018 में
40 प्रतिशत वृद्धि (वर्ष 2014 में 21436 व 2018 में 29872) दर्ज की गई। स्वास्थ्य
केंद्रो पर प्रसव पूर्व
जांच (अर्ली एएनसी जांच) में 73.5 प्रतिशत (वर्ष 2014 में 253 व 2018 में 439) की
बढ़ेातरी दर्ज की गई है।
इसी तरह से वर्ष 2014 में
37 प्रसव पी.एच.सी.पर हुए थे,
जबकि 2015 में 142 प्रसव हुए। पूर्ण टीकाकरण में 26 प्रतिशत (वर्ष 2014 में 366 व 2018 में 460) व आईपीडी डे
केयर में 218 प्रतिशत (वर्ष 2014 में 168 व 2018 में 534) की बढ़ेातरी दर्ज
की गई।
यही
नहीं, विश फाउंडेशन द्वारा संचातिल स्वास्थ्य केंद्रो से समुदाय के
लोग भी संतुष्ट है।
यह बदलाव आधुनितक तकनीक की प्रणाली के
समायेाजन, सहायक प्रवेक्षण एंव कार्यकर्ताअेां की अटूट लग्न
से सभंव हो पाया है।
पीएचसी
पर 37 शारीरिक जांच
श्री
जुत्शी ने बताया कि
फाउंडेशन अपनी तकनीकी नवाचार के लिए जाना
जाता है, जिसमें राज्य में मेाबाइल पैथ लैब की शुरुआत भी
शामिल है। इस पैथ लैब
में विभिन्न तरह के 37 परीक्षण किया जाता है। जबकि राज्य सरकार की निःशुल्क जांच
येाजना में 15 परीक्षण ही किये जाते
है। इस नवाचार से
लोगों के समय व
धन की बचत हेाती
है और बीमारियों को
भी जल्द पहचानने में सहायता मिलती है। इसके साथ संस्था द्वारा डिजिटल हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को भी बढ़ावा
दे रही है। जिसमें टेलिमेडिसिन, दवा एटीएम, मोबाइल इसीजी, प्रसव जानकारी यंत्र, एंव बच्चों में श्रवण संबधी बीमारियों को पता लगाने
के यंत्र इत्यादि शामिल हैं।
उन्होने
बताया कि संस्था द्वारा
पीपीपी मोड पर लिए गए
स्वास्थ्य केंद्रेां (भालता) को सरकार को
वापिस सैांप रहा है। इस परिवर्तन को
जारी रखने के लिए संस्था
राज्य सरकार को तकनीकी सहायता
देने को तैयार है।
जिसके लिए संस्था द्वारा राज्य तकनीकी सहायता इकाई (टीएसयू) का गठन कर
लिया गया है।
विश
फाउंडेशन के आपरेशन हैड
अमोल राय ने बताय कि
संस्था द्वारा संचालित स्वास्थ्य केंद्रों पर जयपुर बैठे
विशेषज्ञों की सेवांए टेली
मेडिसिन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
विशेषज्ञों द्वारा मिल रही इस सुविधा से
ग्रामीण लाभांवित हो रहे है।
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